Menu
blogid : 7089 postid : 5

नारी की परिभाषा

नैनो के दर्पण में
नैनो के दर्पण में
  • 5 Posts
  • 11 Comments

इस अपूर्ण,संपूर्ण जगत में ,पूर्णता की परिभाषा हो,
सर्वथा सत्य हो इस जीवन का,नारी तुम एक जिज्ञाषा हो.

इस अवचेत,हतचेत जगत ने ,नारी चेतनता की कहानी है,
आधी काया आग है इसकी , आधी काया पानी है.

कभी लगती है शुन्य सी,कभी अनंत परिमाप है,
दिव्यलक्ष्ना नारी ही , इस संपूर्ण सृष्टि की माप है.

सुलक्षणा ,दिव्यरूपा,अनंत शक्ति,स्नेह-ममत्व धारिणी,
स्वर्गगामिनी ,स्वाभिमानिनी ,संपूर्ण जगत अधिकारिणी.

नारी तेरे समस्त रूप को , है मेरा कोटि-कोटि नमस्कार,
हृदय मेरा अन्तः स्थल से , करता है तेरा सत्कार.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply